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अभिशाप है या वरदान वृद्धाश्रम

349.00

ISBN:-978-93-6175-182-0

मैं साहित्य नगरी उन्नाव से नैंसी गुप्ता आप सभी का सादर अभिवादन करती हूं ।और मैं बताना चाहूंगी कि इस बार मैं, मेरे सह लेखकगण और जेईसी प्रकाशन आपके लिए लाया है साझा संकलन अभिशाप है या वरदान वृद्धाश्रम पुस्तक ।

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं सकारात्मक और नकारात्मक। इसीप्रकार वृद्धाश्रम के दो पहलू हैं, कुछ लोग अकेले होते हैं उनको अकेलापन खाए जाता है, न कोई पानी लेने वाला है और न ही कोई देने वाला। ऐसे बुजुर्ग के लिए वृद्धाश्रम आश्रम वरदान हो गया। जहां उन्हें अपनी हमउम्र के लोग मिल जाते हैं, जिनके साथ हंसते हैं, बतलाते हैं, दुख – दर्द साझा करते-करते जिंदगी कट जाती है।
दूसरा नकारात्मक पहलू यह है, कुछ बच्चे अपने धर्म से भागने के लिए मां-बाप को धोखा देकर उन्हें वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं या फिर उन्हें घर से निकाल देते हैं, तो वह बेचारे जब हर दरवाजा बंद देखकर असहाय हो जातें हैं तो कई ईश्वर के प्रिय हो जाते हैं । कुछ वृद्ध आश्रम की चौखट पर जाते हैं, जहां वह मुस्कुराते हैं, हंसते हैं मगर शायद नहीं। जिंदा होते हुए भी हर घड़ी वह अंदर ही अंदर मरते हैं या सब जब मैंने स्वनेत्रों से देखा तो अश्रु छलक ही पड़े , हृदय में अजीब सी पीड़ा हुई। उनकी आंखों मानों किसी अपने को तलाश रही हों, हृदय से लगाओ तो निर्बाध रो पड़ें।

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