दहेज की ज्वाला
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दहेज प्रथा भारतीय समाज में एक गंभीर सामाजिक बुराई बन चुकी है जिसके कारण समाज में युवा वर्ग की बालिकाओं को विवाह के पश्चात यातनाएं और अपराध आदि को सहना पड़ता है तथा दहेज जैसे इस मीठे जहर के कारण भारतीय वैवाहिक पद्धति प्रदूषित होती जा रही है। यदि हम सामान्य बात में कहे तो दहेज विवाह के समय ससुराल वालों को लड़की के परिवार द्वारा नगद या वस्तु के रूप में किया जाने वाला भुगतान है। भारत सरकार के द्वारा केंद्र और राज्य स्तर पर दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए और बालिकाओं की स्थिति के उत्थान के लिए दहेज निषेध अधिनियम, 1961 निर्मित किया गया था। परंतु अनेक प्रयासों के बावजूद भी इस सामाजिक प्रवृत्ति के कारण यह कानून हमारे समाज में वांछित परिणाम देने में असफल रहा है। भारतीय समाज में दहेज जैसी बीमारी के कारण प्रतिवर्ष हजारों बालिकाएं मौत का शिकार हो रही है जिसके कारण हमने दहेज संबंधित प्रथा को रोकने के लिए इस पुस्तक को निर्मित किया है, जिसके माध्यम से बालिकाएं संवैधानिक कानून को जान सकेगी एवं साथ ही सामान्य समझदारी को भी समझ सकेगी जिससे समाज में परिवर्तन आएगा और जो लोग समाज में दहेज लेते हैं उनके मुंह पर तमाचा पड़ेगा। यह पुस्तक समाज के हर वर्ग की बालिकाओं और महिलाओं के विकास के लिए कारगर साबित होगी।
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