गुनाहों के चादर एक अधूरा सच
₹499.00
ISBN: 978-93-6976-373-3
Author: संजय यादव
Total Pages: 200
हाँ मै डरता हूं…….
कोरे पन्नों पर खामोशी से डरता हूं बारिश की बूंद के अकेलेपन से डरता हूं मुरझाए फूलों की यादों से डरता हूं फर्श पर पड़ी बेजुबान सुबह की ओश से डरता हूं बर्फ की चादरों में ढकी सड़क की आह से डरता हूं
हां मैं आईने की आहट से डरता हूं मैं कौन हूँ, कैसा हूं, खुदा की नीयत से डरता हूं किताबें लुटा दी खुद की तलाश मै
जी हाँ मैं डरता हूं, शब्दों से झूठ कहता हूं मीर, जौन, इक़बाल, फैज, ग़ालिब.. इन सब की खामोशी से डरता हूं
आखिर मैं किस की परछाई से डरता हूं नसीब ना हुआ दौलत मेरी, फिर भी उसकी आहट से डरता हूं जी हाँ मैं डरता हूं….!!”


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