हैप्पी फादर्स डे मेरे पापा
₹349.00
ISBN NO:-978-93-6175-387-9
माता-पिता जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए होते हैं। किसी एक के बिना नवजीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कहते हैं बेटी तो देवी हो गई जिस दिन वह मॉं बनी । इस सफर में बेटा भी त्यागी बन जाता है जिस दिन वह पिता बन जाता है।
पिता बच्चों के उज्जवल भविष्य व खिलखिलाते वर्तमान के लिए कभी ठंडी बारिश बनता है तो कभी कठोर चट्टान ।
किसी ने कहा है खुशियों को खरीद नहीं जा सकता किंतु एक पिता अपने बच्चों की चेहरे की खुशी हर कीमत पर खरीदना चाहता है ।
पापा कभी घोड़ा बन जाते हैं।
कभी कंधे पर बिठाकर मेला दिखाते हैं।
हवा में उछाल कर कैच करके विश्वास जागते हैं ।
साइकिल से रेस लगाकर चैलेंजिंग बनाते हैं,
खुद ही पीटते हैं खुद ही हल्दी चूना लगाते हैं। स्कूल सहित एक्स्ट्रा एक्टिविटी के खर्च के लिए ओवरटाइम करके घर आते हैं ।
और हम बच्चे बुढ़ापे में उनको वृद्धाश्रम पहुंचाते हैं।
वो हमें हमारे पैरों पर खड़ाकर ही अतुलनीय चैन पाते हैं।
इन अनेकों हृदयस्पर्शी भावनाओं को समेटे हुए साझा संकलन मेरे पापा पुस्तक नव युवाओं को प्रेरित करने के साथ-साथ पिता को इंटरनेशनल फादर्स डे की शुभकामनाएं देने के लिए प्रकाशित की गई है।
अगर एक भी परसेंट वृद्धपिता वृद्धाश्रम जाने से बच पाया या वृद्धाश्रम से वापस लौट आया तो साहित्य जगत खुद को धन्य समझेगा ।
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