कृष्णांजलि
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सोलह कलाओं से परिपूर्ण नीलवर्णी श्री कृष्ण जो ईश्वर भी है और मानव भी या कह लीजिए कि लीलाधर। ईश्वर होते हुए भी मनुष्य रूप में संसार के सारे बंधनों को स्वीकार करते हुए जीवों को आनंद पहुंचने के लिए लीला रचते हैं।
उन्हीं लीलाधारी श्री कृष्ण के जीवन की विभिन्न लीलाओं को इस पुस्तक में भारत के विभिन्न प्रांतो के गणमान्य लेखकों एवं लेखिकाओं ने बड़े ही सुंदर ढंग से काव्य रस द्वारा वर्णन किया है जो पढ़ने में बड़ी ही मनोहारी हैं और भक्ति भाव से ओत- प्रोत हैं।
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