मांग के साथ तुम्हारा मैंने माँग लिया संसार
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मांग के साथ तुम्हारा मैंने माँग लिया संसार शीर्षक पुस्तक की कविताएं स्त्रियों के मनोदशा का सजीव चित्र है ।इसकी समस्त रचनाएं नारी जीवन से हमें रूबरू कराती हैं। एक नारी जो सदैव जिम्मेदारियां से बंधी रहती है ,विवाह के पश्चात उसके जीवन में जो भी अच्छे -बुरे परिवर्तन होते हैं उसे इस किताब में दर्शाने की भरसक कोशिश की है।
जो सपना स्त्री विवाह के बाद की देखी है और वह उसके मनोनुकूल नहीं होते हैं, तो वह अपना अनन्य प्रेम प्रभु को समर्पित कर देती है।मांग के साथ तुम्हारा मैंने माँग लिया संसार “शीर्षक पुस्तक में स्त्री के मन को झलकाती हुई प्रतीत होती है। हर बातों पर रोकटोक के बावजूद वह कितना सरल व सहज भाव से पेश आती है।उसका खाना कपड़ा रहन – सहन यहाँ तक कि उसके मोबाइल का रिंग टोन तक उसके पति के द्वारा ही चुना जाता है।इस सब से ऊबी हुई स्त्री के मन में अनायास एक भाव आती है-जो है “मांग के साथ तुम्हारा मैंने माँग लिया संसार”
हमें आशा है कि यह पाठक के दिल की गहराइयों में जरूर उतरेगी,और पाठक इस किताब पर स्नेह की वर्षा जरूर करेंगे।
आपकी
अलका मिश्रा “अतुल्या”
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