रिश्तों की डोर में बंधे धागे
₹349.00
Isbn-978-93-6976-559-1
कुछ रिश्ते ईश्वर की सबसे सुंदर रचनाओं में से होते हैं — ना कोई शर्त, ना कोई समझौता, सिर्फ स्नेह से गूंथे हुए, जैसे आत्मा का कोई टुकड़ा किसी और के भीतर धड़क रहा हो। भाई-बहन का रिश्ता ठीक वैसा ही होता है — उलझनों में सुलझा हुआ, लड़ाई में छिपा प्यार, और खामोशी में बसी चिंता।
यह पुस्तक उस अदृश्य डोर की कहानी है, जो एक बहन अपने भाई से बांधती है। वह डोर रक्षाबंधन की रंगीन रेशम से कहीं अधिक मजबूत होती है — क्योंकि उसमें विश्वास की गांठें होती हैं, और बचपन की हंसी की खुशबू। बहन के धागे सिर्फ कलाई पर नहीं बंधते, वे जीवन भर दिलों में बंधे रहते हैं।
हर पृष्ठ पर आपको मिलेगा एक ऐसा अहसास, जो आपको अपने बचपन के उन दिनों में ले जाएगा जब भाई की शरारतें और बहन की शिकायतें दिन का हिस्सा थीं, और फिर वही तकरार, समय के साथ, अटूट प्यार में बदल गई।
यह पुस्तक बहन की दृष्टि से उस रिश्ते की पड़ताल करती है, जिसमें वह केवल एक बहन नहीं होती — वह माँ जैसी ममता रखती है, दोस्त जैसी समझदारी, और एक रक्षक जैसी शक्ति। वह एक धागा बन जाती है — भावनाओं का, उम्मीदों का, प्रार्थनाओं का।
“रिश्तों की डोर में बंधे धागे” केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, यह उन भावनाओं का दस्तावेज़ है जो अक्सर हम महसूस तो करते हैं, पर व्यक्त नहीं कर पाते। यह हर उस व्यक्ति के लिए है जिसने कभी अपनी बहन की आँखों में चिंता देखी हो, या भाई के शब्दों में छिपा प्यार महसूस किया हो।
आइए, इन पन्नों के साथ एक यात्रा करें — उस रिश्ते की, जो जन्म से पहले बनता है और जीवन के पार भी साथ चलता है।।






Reviews
There are no reviews yet.