सामाजिक परिवर्तन और समकालीन कहानी
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ISBN-978-93-6175-084-7
समाज हमेशा परिवर्तनशील होता है, और इस परिवर्तन की प्रक्रिया में साहित्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खासकर समकालीन कहानी में, हम समाज के विकास, उसकी जटिलताओं, और सामाजिक मुद्दों को बारीकी से देख सकते हैं। “सामाजिक परिवर्तन और समकालीन कहानी” इस विषय के अंतर्गत हम समझने का प्रयास करेंगे, कि किस प्रकार समकालीन कथाकार समाज के परिवर्तित हो रहे स्वरूप को अपनी कहानियों में प्रस्तुत कर रहें हैं ।समाज में बदलाव का प्रभाव सिर्फ राजनीति, अर्थव्यवस्था, या विज्ञान तक सीमित नहीं रहता; इसका प्रभाव मानव व्यवहार, मानसिकता और सामाजिक रिश्तों पर भी पड़ता है। समकालीन साहित्य इन बदलती परिस्थितियों को बेहद सटीक रूप से उकेरता है, और कहानी के माध्यम से उन संघर्षों, दर्द, और उम्मीदों को सामने लाता है, जो समाज के हर वर्ग को प्रभावित करते हैं।
समाज में समय-समय पर जो बदलाव होते हैं, उनका प्रभाव साहित्य पर किस प्रकार पड़ता है। साहित्य, विशेष रूप से कहानी, समाज की स्थितियों और बदलती हुई विचारधाराओं का सटीक प्रतिबिंब होती है। यह न केवल समाज के वर्तमान को, बल्कि उसके भविष्य की दिशा को भी प्रस्तुत करती है।
समकालीन कहानी में समाज के विभिन्न पहलुओं—जैसे जातिवाद, लिंग भेद, आर्थिक विषमताएँ, और राजनीतिक उथल-पुथल—का गहरा चित्रण मिलता है। समाज में हो रहे परिवर्तनों के प्रति अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन मुद्दों पर विचार करना आवश्यक हैं जो आम जीवन को प्रभावित करते हैं। इन कहानियों में पात्रों के माध्यम से हम देखते हैं कि कैसे व्यक्ति और समाज एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, और कैसे समाजिक संरचनाएँ और धाराएँ समय के साथ बदलती हैं।
सामाजिक परिवर्तन के संदर्भ में, समकालीन कहानीकार समाज की जटिलताओं, संघर्षों, और अनकहे पहलुओं को उजागर करते हैं। ये कहानियाँ समाज में व्याप्त असमानताओं, वंचना और संघर्ष के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत करती हैं। इसके माध्यम से पाठक न केवल एक समाज की तस्वीर को देखता है, बल्कि यह भी समझता है कि उन बदलावों के पीछे के कारण क्या हैं और समाज में व्याप्त असंतुलन को कैसे संतुलित किया जा सकता है।
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