आस्था का दर्पण
₹499.00
आस्था का दर्पण, जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है। आस्था मतलब विश्वास, निष्ठा, दर्पण मतलब आईना। प्रस्तुत पुस्तक की संकलक सुशील यादव साँझ ने विभिन्न प्रांतों से उभरते हुए रचनाकारों की अपने आराध्य के प्रति आस्था, विस्वास और निष्ठा का अनुपम संकलित काव्य संग्रह संकलित किया है। जिसमें रचनाकारों ने अपने भावों को बड़ी ही खूबसूरती से शब्दों का लिबास पहनाकर अपने आराध्य को समर्पित किया है। कहीं ईश्वर की शुक्रगुजारी तो कहीं मासूमियत भरी शिकायतें हैं।, कहीं अंतर्मन के सवाल, नि:स्वार्थ भाव तो कहीं उम्मीद की पुकार है। इसके साथ ही ईश्वर की महिमाओं का भी खूबसूरती से बखान किया गया है। हमें यकीन है इस पुस्तक को जब आप पढ़ोगे तो भावों के इस दर्पण में आप खुद अपनी छवि पाओगे.. जिसमें अपने आराध्य से आपको जुड़ाव महसूस होगा। आस्था, विश्वास और निष्ठा की घनिष्ठता का भान होगा।
Reviews
There are no reviews yet.