पिता : मेरा संसार
₹349.00
ISBN NO:- 978-93-6175-395-4
प्रस्तुत संकलन ‘पिता : मेरा संसार’ में सभी सह-लेखकों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से पुस्तक को एक मूर्त रूप प्रदान किया है।
प्रस्तुत पुस्तक की संकलक ‘सरिता महिवाल’ ने पिता के स्वरूप, संतान के जीवन में उनकी भूमिका, वह पीड़ा, जिसे पिता दर्शाते नहीं हैं, धरा से अंबर तक परचम लहराने में, डूबती कश्ती को पार लगाने में, ईश अवतार को निर्झर एहसासों के मानकों में पिरो एक पुष्पांजलि अपने पिता को अर्पित करने के लिए अनुनय विनय किया हैं।
आपको इस पुस्तक में त्याग, समर्पण, दूरदर्शिता, स्नेह, मिलन्, बिछोह, यादें, बातें, खुशियों की फुलवारी संग अश्कों का सागर पढ़ने को मिलेगा।
पिता खुदा का भेजा वो फरिश्ता है जो अपनी संतान को हर भवसागर से बाहर निकाल लाता है आएं चाहे कितनी भी मुसीबतें वो मजबूत स्तंभ सा खड़ा रहता है।
पिता आदि अनंत है। आजीवन पिता का साया आवश्यक है। पिता के बगैर जीवन भले मिल जाता है, पर नहीं मिलता है, बचपन छिन जाती हैं शरारतें, भाव विभोर करती लेखकों की लेखनी कोरे पन्नों को शाश्वत रंग रही है।
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